अध्यक्ष

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अध्यक्ष, रामायण रिसर्च काउंसिल

कामेश्वर चौपाल

(सदस्य, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास, अयोध्या)



हमारा देश इस समय सांस्कृतिक भावनाओं से ओत-प्रोत होने के साथ श्रीराम राज्य की स्थापना की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। इसी का प्रत्यक्ष उदाहरण था कि अयोध्या में बन रहे भव्य श्रीराम मंदिर के गर्भगृह में स्थापित होने वाली मूर्ति हेतु हाल में जब विशाल शिलाओं को लेकर मैं नेपाल से अयोध्या की ओर गमन कर रहा था, तो उस अविस्मरणीय दृश्य को याद कर आज भी मेरी आंखों से आंसू छलक आती है। यह विह्वल भाव मेरा ही नहीं, हर उस प्रभु श्रीरामभक्त का होगा, जिसने उस क्षण को देखा होगा। अपने आपको धन्य समझता हूं कि इससे पहले, वर्ष 1989 में जब अयोध्या में भगवान श्रीराम के मंदिर का शिलान्यास हो रहा था, तो मुझे ही पहली ईंट रखने का सौभाग्य मिला था। मेरा यह भी मानना है कि हमारे श्रीराघवजी, सीताजी के बिना अधूरे हैं, क्योंकि श्रीराम से पहले सीताजी का नाम लेते हैं- ‘सीता-राम’ बोलते हैं।

एक तरफ अयोध्या में रामलला का भव्य मंदिर तैयार हो रहा है। तो वहीं रामायण रिसर्च काउंसिल के तत्वावधान में गठित ‘श्रीभगवती सीता तीर्थ क्षेत्र समिति’ के अंतर्गत मां सीताजी के प्राकट्य-क्षेत्र सीतामढ़ी में मां की 251 फीट ऊंची दर्शनीय प्रतिमा के साथ उन्हें श्रीभगवती के रूप में स्थापित करने का संकल्प है। 51 शक्ति-पीठों से मिट्टी व ज्योत लाकर, नलखेड़ा (मध्य प्रदेश) स्थित मां बगलामुखीजी की ज्योत लाकर पहली बार मां सीताजी को श्रीभगवती के रूप में स्थापित कर इस स्थल को शक्ति-स्थल के रूप में विकसित किया जाना है। यहां एक ‘अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक भवन’ भी निर्मित होना प्रस्तावित है, ताकि इसे पर्यटन केंद्र का स्वरूप दिया जा सके। उपरोक्त संकल्प के लिए लगभग 25 एकड़ भूमि का एग्रीमेंट भी किया जा चुका है। 12 एकड़ 43 डिसमिल भूमि की रजिस्ट्री भी हो चुकी है। शेष भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया तेज़ गति से जारी है, जिसके बाद हम भूमि-पूजन हेतु प्रक्रिया को प्रारंभ करेंगे। मां सीताजी के इस विषय को हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसार कर विश्वभर में सनातन समाज की माताएं एवं बहनों को जोड़ना चाहते हैं, हम चाहते हैं कि इसमें आप सभी का विशेष नेतृत्व, स्नेह एवं मार्गदर्शन मिले।

वहीं, हमलोग, प्रभु श्रीराम मंदिर (अयोध्या) के 500 वर्षों के संघर्ष पर 1108 पृष्ठ का ग्रंथ ‘श्रीरामलला- मन से मंदिर तक’ को भी अंतिम रूप दे रहे हैं, जिसका हिन्दी के अलावा 10 अन्य अंतरराष्ट्रीय भाषाओं में अनुवाद होना है, 21 देशों में विमोचन होना है। ये विषय मा. प्रधानमंत्री जी के संज्ञान में भी है। ग्रंथ में अयोध्या के आध्यात्मिक पहलू के साथ श्रीराम मंदिर संघर्ष के कानूनी, राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक पहलू को शामिल किया जा रहा है। साथ ही, मां सीताजी व प्रभु श्रीराम के मानव-कल्याण संदेशों को प्रस्तुत किया गया है। हम इस ग्रंथ को विश्व के प्रमुख देशों के बड़े पुस्तकालयों में भी रखवाना चाहते हैं।

हम चाहते हैं कि आप सभी इस अभियान से जुड़ें, क्योंकि जब तक पूरा भारत एवं भारत की मिट्टी से संबंध रखने वाले हर एक महानुभाव इस अभियान से नहीं जुड़ेंगे, तब तक यह यज्ञ अधूरा रहेगा। आप जिस स्थान पर हैं, जिस क्षेत्र से हैं, बस अपने-अपने स्थान से इस प्रकल्प को मजबूती प्रदान करते रहें। आप जो लोग इस प्रकल्प से जुड़ना चाहते हैं, वह इस वेबसाइट पर Join RRC मेन्यू पर क्लिक कर फॉर्म भरें, हमारे प्रतिनिधि आपसे संपर्क कर आगे की कार्यप्रणाली की जानकारी देंगे।